वेदोऽ खिलो धर्म मूलम्
भारतीय संस्कृती का मूलमंत्र ' वसुधैव कुटुंबकम् ' यह इस वेबसाईट का आधार है। वैदिक सनातन धर्म यह केवल एक धर्म नहीं अपितु जीवन जीने की एक संपूर्ण पद्धति है।
वेद आनंदम् इस वेबसाईट का निर्माण संपूर्ण भारतदेश में वैदिक सनातन धर्म संबंधित कार्य करने वाली सभी संस्थाओ, संगठनो को एकत्रित करके अखंडीत भारत का प्रदर्शन एवं सर्व वैदिक संस्थाओ में समन्वय हेतू किया गया है।
यह वसुधा ही एक परिवार है। हमें हमारे परिवार के सभी सदस्यो की जानकारी रहना अनिवार्य होती है, जिससे परिवार में एकता की भावना निर्माण होती है। परिवार में घटीत सभी कार्यकलापों की जानकारी सभी को रहना जरूरी होती है जिससे परिवार अखंडित रहता है। मैं ही श्रेष्ठ की दौड में अव्वल आने का भाव परिवार में नहीं होता है। परिवार में सभी के गुणों का गुणाकार और अवगुणों का भागाकार होता है। यहां सभी सदस्यो के कार्य एवं विचारों का आदान प्रदान होता है।
वैदिक सनातन धर्म के प्रचार एवं प्रसार का नि:स्वार्थ भाव से कार्य करने वाले सर्व संगठनो का एकत्रीकरण ही "वेद आनंदम्" है। यह एक समभाव से परिपूर्ण अहंविरहीत संगठनो का संगठन है।
इस प्रकल्प की यह क्षमता है कि वैदिक ज्ञान-विज्ञान, वेद अनुसंधान , शिक्षा, आध्यात्म, कर्मकांड विज्ञान एवं संबंधित उपक्रमों का प्रसार विद्यापीठो एवं शिक्षा संस्थाओ द्वारा सामान्य मनुष्य तक पहुंचाकर भारतदेश का चित्र बदलकर एक क्रांति स्थापित करेगा। इस अनुक्षेत्र की अंतर्गत रचना के कारण सभी संस्थाओं का कार्यप्रभाव एक दूसरे के लिये पारदर्शक रहेगा। इस प्रकल्प के माध्यम से विद्यापीठों, शिक्षण संस्थाओं के समन्वय द्वारा सामान्य मनुष्य, वेद अभ्यासक एवं वेदों में रुचि रखने वाले समुदाय के बीच की दूरी कम होगी। एक दूसरे के बीच अहं विरहित, प्रेमपूर्वक आपसी सहयोग से इस प्रकल्प की पहचान होगी। उदार संस्थाओं के सहयोग से इस प्रकल्प के उद्देश्यों की परिपूर्ति होगी। सुदृढ़ अनुभवी आचार्य पार्श्वचित्र एवं शिक्षण संस्थाओं के उदार सहयोग से इस प्रकल्प के उद्दिष्ट हासिल हो सकेंगे।
अयं निज: परो वेति गणना लघूचेतसाम्।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुंबकम।।
(महोपनिषद्)
प्रकल्प निर्माण का मानस
पुरातन काल से इस देश मे धर्म, जात-पात, पंथ, संप्रदाय का सहारा लेकर उंच-नीच का भाव पैदा कर, द्वेष निर्माण करके देश को बांटने का प्रयास होता रहा है फलस्वरूप वेद ज्ञान के प्रसार का दायरा अति सीमित रहा है। जिसके कारण हमारा स्वरूप विराट रहते हुए भी विराट तक पहुंचने मे हम अक्षम रहे है ।
शालाओं में संस्कृती शिक्षा के अभाव से हिंदु धर्म के बारे में भ्रम निर्माण करने का कार्य जोरो से हुआ, फलस्वरूप हिंदू वैदिक संस्कृति को आडंबर बताकर पाश्चात्य संस्कृती श्रेष्ठ का भाव भारतीय मानव के दिमाग में भरा गया।
इसी दुष्प्रवृत्ती के नाश हेतु हमने यह निर्णय लिया है कि एक महासंगठन का निर्माण हो जहां वेद ज्ञान और विज्ञान के प्रचार प्रसार में कार्यरत भारत देश एवं विश्व की सर्व संगठनाए, संस्थाए एक जगह पर आ जाए। वह वेद आनंदम् वेबसाईट के माध्यम से पूर्ण होगा।
सभी संगठनो द्वारा चल रहे वेद, पुराण, उपनिषदो के ज्ञान-विज्ञान पर आधारित सर्व उपक्रम, व्याख्यान इत्यादी सामान्य शिक्षा संस्थानो, विद्यापीठो मे चलाने का हमारा मानस है।
जिस कार्य के लिये हम प्रयत्नशील है उस कार्य को गति एवं विराट रुप देने का यह एक उत्तम मार्ग होगा। वेद-आनंदम यह द्वार वैदिक ज्ञान और विज्ञान को विराट रूप देना चाहता है।
इसके फायदे:
जिससे अखंडीत भारत का प्रदर्शन होगा। जब सब साथ होंगे तो कार्य एवं विचारों का आदान प्रदान होकर नये विचारों को दिशा मिलेगी। सामान्य नागरिक को वेदो संबंधित ज्ञान- विज्ञान, अनुसंधान ढूंढने पर उसे सभी ज्ञान इस एक ही पोर्टल पर प्राप्त हो जाएगा। सभी संगठनो का दायरा विराट हो जाएगा।
वेद-आनंदम यह द्वार वैदिक ज्ञान और विज्ञान का विराट रूप होगा।
वसुधैव कुटुंबकम्
यह वसुधा ही एक परिवार है। हमें हमारे परिवार के सभी सदस्यो की जानकारी रहना अनिवार्य होती है, जिससे परिवार में एकता की भावना निर्माण होती है। परिवार में घटीत सभी कार्यकलापों की जानकारी सभी को रहना जरूरी होती है जिससे परिवार अखंडित रहता है। मैं ही श्रेष्ठ की दौड में अव्वल आने का भाव परिवार में नहीं होता है। परिवार में सभी के गुणों का गुणाकार और अवगुणों का भागाकार होता है। यहां सभी सदस्यो के कार्य एवं विचारों का आदान प्रदान होता है। इन्ही विचारों को परीपूर्ण करने के लिये वेद आनंदम् की रचना करी गयी।
वैदिक सनातन एकत्रीकरण
वेदो खिलो धर्म मूलम्
(Vedas are the root of all Dharma)
वेद आनंदम् इस वेबसाईट का निर्माण संपूर्ण भारतदेश में वैदिक सनातन धर्म संबंधित कार्य करने वाली सभी संस्थाओ, संगठनो को एकत्रित करके वैदिक ज्ञान-विज्ञान, अनुसंधान, शिक्षा, आध्यात्म, कर्मकांड विज्ञान एवं संबंधित उपक्रमों का प्रसार विद्यापीठो एवं शिक्षा संस्थाओ द्वारा सामान्य मनुष्य तक पहुंचाने हेतू किया गया है।
जीवन का लक्ष्य
समानी व आकूति: समाना ह्रदयानी व:
समानमस्तु वो मनो यथा व: सुसहासती।।
(ऋग्वेद-१०/१९१/४)
हम सबके जीवन का लक्ष्य एक हो, ह्रदय और मन एक हो, ताकि मिलकर जीवन में उस एक लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। वेदों में कामना है कि सबके मन सबके कल्याण में एक समान हों और ईश्वर स्मरण तथा शुभ गुणों के प्रति सबका चिंतन समान हो। सब प्राणियों के दुःखनाश और सुख वृद्धि की भावना सन्निहित हो। एक हमारा उद्देश्य हो, सुसंगत हमारी भावना हो। एकत्रित हमारे विचार हो, जैसे सब कुछ इस विश्व की एकता में है I
मानवधर्म का ऐसा उच्चतम, श्रेष्ठतम और वरणीय-ग्रहणीय स्वरूप अन्यत्र दुर्लभ है। वैदिक धर्म हमें सुख-शांति, समाज में समृद्धी, सेवा भावना, सामंजस्य, सहयोग, सत्याचरण, सदाचरण, संवेदना से परिपूर्ण ह्रदय और मननशील मनुष्य बनने की ओर उत्प्रेरित करता है। वेद में इसी भावना को दृढ़ किया गया है कि एक ही आत्मतत्व प्रत्येक पदार्थ में प्रतिबिंबित होकर भिन्न-भिन्न नाम रूपों से अभिहीत हो रहा है, अतएव समग्र ब्रम्हांड एक ही तत्व से अधिष्ठित है ।
वेद आनंदम् परिवार
NEETA S KALANTRI
Project Director (Chief )
BE Electronics, MSc Electronics, Researcher in Astro Electronics, Author: 'Ved Gyaan Aur Vigyaan'
RAJUL AGRAWAL
Website Director
BE Electrical
SAURANGI AGRAWAL
Finance Director
BE Information Technology
ROHIT NAJAWAN
Co-Design Director
MBA Marketing, BE Computer Engineering
CHETNA VEDI
Field Director
M.A. (Ved) , M.A. (Vyakran), Ph.D.(Ved), Ved-Yog-Dhyan-Mandiram, Pune
JAYPRAKASH NR
Support Director
BSc MicroBiology , Bpharma, Ex- Asst. Commissioner Revenue Dept. Tamilnadu.
KARTIKA K
Design Director
BE Computer Engineering