ॐ पूर्णमद:. पूर्णमिदं पूर्णात पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।।
ॐ शांति: शांति: शांति:
व्याख्या :
वह सच्चिदानंद परब्रम्ह पुरुषोत्तम सब प्रकार से सदा-सर्वदा परिपूर्ण है। यह जगत भी उस परब्रम्ह से ही पूर्ण है,क्योंकि यह पूर्ण उस पूर्ण पुरुषोत्तम से ही उत्पन्न हुआ है। इस प्रकार परब्रम्ह की पूर्णता से जगत् पूर्ण है, इसलिए भी वह परिपूर्ण है। उस पूर्ण ब्रम्ह में से पूर्ण को निकाल लेने पर भी वह पूर्ण ही बचा रहता है।
ॐ
यही पूर्णब्रह्म का ज्ञान हमारे शास्त्रों ने दिया है। सच्चाई जानने पर शांति का अनुभव होता है यह वही शांति मंत्र है। ॐ
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