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माता सीता के प्राकट्य दिवस सीता नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं

सीताजी की जयंती वैशाख शुक्ल नवमी को मनायी जाती है, किंतु भारत के कुछ भाग में इसे फाल्गुन कृष्ण अष्टमी को मनाते हैं। रामायण के अनुसार वह वैशाख में अवतरित हुईं थीं, किन्तु 'निर्णयसिन्धु' के 'कल्पतरु' ग्रंथानुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अष्टमी को। अत: दोनों ही तिथियाँ उनकी जयंती हेतु मान्य हैं।[3] मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम तथा माता जानकी के अनन्य भक्त तुलसीदास न 'रामचरितमानस' के बालकांड के प्रारंभिक श्लोक में सीता जी ब्रह्म की तीन क्रियाओं उद्भव, स्थिति, संहार, की संचालिका तथा आद्याशक्ति कहकर उनकी वंदना की है-

उद्भव स्थिति संहारकारिणीं हारिणीम्। सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामबल्लभाम्॥[4]

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