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भारतीय संस्कृती में पशुओं के लिये उत्सव*बैलपोळा*




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🚩🚩बैलपोळा 🚩🚩

भारतीय उत्सवों में पशुओं को भी महत्व दिया गया है।

भारत देश यह संस्कृती प्रधान देश है। भारत देश पर लेखनी चलाने वाले यह बात अवश्य स्पष्ट करे बगैर नहीं रह सकते। यह देश विविधता से परिपूर्ण है। यहा सृष्टी(प्रकृती) के हर एक अवयव की पूजा की जाती है।और उसमे विद्यमान हर एक प्राणी,जीव-जंतू को समान सम्मान है।

इस महान संस्कृती को समझने और अनुसंधान करने वाले कई वैज्ञानिक बाहर से आए और इस संस्कृती की गहराई को अपनी लेखनी से अपनी बुद्धी द्वारा प्रस्तुत किया।

इसीलिए तो विश्व के सभी राष्ट्र इसकी महत्ता से जलने लगे।और इस संस्कृती के विनाश के पीछे हजारों सालों से लगे रहे और लगे हैं।

🚩 *लेकिन कुछ बात है कि हस्ती और संस्कृति मिटती नहीं हमारी।* 🚩

आज महाराष्ट्र में महाराष्ट्रिय पंचांगानुसार श्रावण अमावास्या को खेतों में सालभर काम करने वाले बैलो के सम्मानार्थ 🚩 *बैलपोळा* 🚩यह उत्सव मनाया जाता है।

आज के दिन उनसे कोई भी काम नहीं करवाया जाता।

उन्हे नहला कर अच्छे चमकिले वस्त्र पहनाए जाते है। उनको पुरणपोळी का नैवेद्य दिया जाता है। आज उन्हे हम भगवान के रुप मे पुजते है।

क्योंकि किसानों के लिये वह हमेशा खेतो में काम करता है और खेतो से अनाज आता है।

इस भारतीय सनातन संस्कृती की महानता को नमन है।


जयतु सनातन संस्कृती 🙏🏼🚩🚩

बैलपोळा की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏼🚩

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