मुझे पता था ऐसा होगा
कलियुग मे मानव
अतिस्वार्थ से भरा होगा
सिवा उसे खुदके
परवाह न होगी किसीकी
इसलिए संपूर्ण जीवन मेरा
रामायण रूपी दिपक द्वारा
प्रस्तुत किया मानव समक्ष
हर रिश्ता निभाये कैसे
पुत्र से लेकर पति तक
भ्राता से लेकर मित्र तक
उंच नीच का भाव छोड
शबरी के बेरों तक
मुझे पता था ऐसा होगा
कलियुग मे मानव
पैसो का पुजारी होगा
जीवन ऐसे जीएगा जैसे
अमर होकर वह आया हो
अंधे पिता के अंधे ही पुत्र
धर्म से वंचित अधर्म के उपासक
स्री पुरुष होंगे शीलहीन
आसुरी संस्कृती के पुजक
दुष्प्रवृत्ती मे लीन होंगे
इसलिए दिपक भगवद्गीता का
जलाया कलियुग समक्ष
सभी को दिपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
वेद आनंदम् परिवार
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